उत्तराखण्ड
21 दिन में कोविड अस्पताल तैयार करने वालों, जरा हमारी परेशानी भी सुन लो साहेब…
हल्द्वानी – राज्य में नर्सिंग भर्ती की नियमावली से प्रदेश के नर्सिंग स्टाफ में गुस्सा है। नई नियमावली को बदलने के लिए वे लगातार काला फीता बांधकर अपना विरोध जता रहे हैं। हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भी 60 लोग विरोध जता रहे हैं। हालांकि कोरोना काल को देखते हुए वे विरोध प्रकट करने के साथ ही लगातार समर्पित भाव से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बुधवार को भी जब राजकीय मेडिकल परिसर में डीआरडीओ द्वारा बनाए गए कोविड अस्पताल का लोकार्पण किया गया तो इस वक्त भी ड्यूटी में तैनात दो नर्सों ने अपनी मांग के संबंध में बात रखी। हालांकि ये अलग बात है कि अस्पताल के शुरू होने की खुशी में नेता और आला अधिकारियों ने उनकी बात को खास तवज्जो नहीं दी।
मालूम हो कि नर्सिंग स्टाफ राज्य सरकार से जून में आयोजित होने वाली नर्सिंग भर्ती परीक्षा रद्द कराने की मांग कर रहा है। कोविड अस्पताल में सांसद अजय भट्ट के समक्ष अपनी बात रखने वाली स्टाफ नर्स हेमा आर्या ने कहा कि चिकित्सा, स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2621 पदों पर स्टाफ नर्स की प्रस्तावित परीक्षा जून में आयोजित होनी है, लेकिन सरकार की ओर से जारी नई नियमावली में लिखित परीक्षा का जो प्रावधान दिया गया है उससे नए प्रशिक्षुओं को लाभ मिलेगा, जबकि कार्य व अनुभव के आधार पर वे लोग ज्यादा सक्षम हैं। ऐसे में उनके लिए भर्ती को लेकर संकट बना हुआ है।
कहा कि कई लोग जो अभी तक स्थायी नहीं हो पाए हैं, जिनकी आयु सीमा भी पूरी होने वाली है। वे इससे वंचित रह जाएंगे। उनको किसी भी प्रकार से इसका सीधा लाभ नहीं मिल पाएगा। जबकि पहले कार्य में वरिष्ठता के आधार पर भर्ती में वरीयता दी जाती थी। इसलिए भर्ती परीक्षा मानकों को पूर्ववत किया जाना चाहिए।
कहा कि 11 साल बाद राज्य में नर्सिंग की भर्ती खोली गई है। जब इमरजेंसी के चलते सरकार 21 दिनों में कोविड अस्पताल तैयार कर सकती है तो फिर उनकी समस्या का समाधान क्यों नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि अस्पताल को संभालने वाले वे ही लोग हैं, ऐसे में उनकी मांग को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। ऑपरेशन से लेकर इमरजेंसी सेवाओं और अन्य कार्यों में उन्हें बेहतर अनुभव है। इसलिए स्टाफ नर्सों को भी नौकरी में स्थायी करना चाहिए। स्टाफ नर्स की भर्ती में डिग्री धारकों को शामिल करना सही नहीं है।