उत्तराखण्ड
स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है भाजपा सरकार : दीपक
प्रदेश की भाजपा सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रही है। भाजपा सरकार ने पिछले साढे चार सालों में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए कुछ भी काम नहीं किया। जिसका परिणाम यह है कि आज प्रदेश की गरीब जनता मरीजों का उपचार कराने के लिए दर-दर भटक रही है।
प्राइवेट अस्पतालों में अत्यधिक पैसा खर्च करने को मजबूर है।
पहाड़ में जहां स्वास्थ्य व्यवस्था का कोई सुध लेवा नहीं है वही कुमाऊ का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले हल्द्वानी में भी स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है। कोरोना की तीसरी वेब के खतरे के बावजूद सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के प्रति उदासीन बनी हुई है। एक ओर जहां सरकार ने स्कूल खोल दिए हैं वहीं अस्पतालों में कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
पूरे कुमाऊं में यदि उधम सिंह नगर जिले को छोड़ दिया जाए तो सिर्फ हल्द्वानी में मात्र 36 स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) हैं। सुशीला तिवारी में 24 तथा महिला अस्पताल में 12 हैं। सभी एसएनसीयू अक्सर पैक रहते हैं। एसएनसीयू के सहारे ही प्रीमेच्योर बेबी, निमोनिया, पीलिया और कुपोषित बच्चों का इलाज होता है। प्राइवेट अस्पतालों में एसएनसीयू का 1 दिन का खर्चा कम से कम ₹15000 होता है। जिस कारण सामान्य और गरीब वर्ग के लोगों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना मुश्किल होता है।
सरकार को प्रदेश भर के सभी सरकारी अस्पतालों में एसएनसीयू लगवाने चाहिए। पहाड़ के किसी भी अस्पताल में एसएनसीयू नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। आयुष्मान कार्ड भी मजाक बनकर रह गए हैं। सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं होने के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड नहीं चल रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों को अभी तक गोल्डन कार्ड का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
यह सरकार अभी तक अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को चालू नहीं करा पाई है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों एवं स्टाफ को जबरन अल्मोड़ा भेजा जा रहा है। आधे से अधिक सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र नहीं हैं। जिन जगहों में निजी जन औषधि केंद्र खुले थे वह भी दवाइयों के अभाव में बंद हो गए हैं। यह सरकार की उदासीनता को प्रदर्शित करता है। कांग्रेस पार्टी स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में कभी चुप नहीं बैठेगी। इसके लिए जल्द ही आंदोलनात्मक रणनीति बनाई जाएगी।