उत्तराखण्ड
हल्द्वानी- आभार रैली के बीच युवाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को सौंपा ज्ञापन..
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हल्द्वानी आगमन व नकल विरोधी कानून पर आभार रैली के बीच उत्तराखंड युवा एकता मंच के सदस्यों द्वारा नकल विरोधी कानून में विसंगतियों, छात्रों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, सीबीआई जांच कराए जाने व पीसीएस मुख्य परीक्षा में राज्य विशेष का प्रश्नपत्र लाये जाने के विषयक चार सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया ।
इस दौरान संयोजको ने कहा कि सभी परीक्षाओ में सीबीआई की जांच करवाई जाए, छात्रों पर दर्ज सभी मुकदमों को खारिज किया जाए व नकल विरोधी कानून में विसंगतियों को जल्द से जल्द दूर किया जाए, नही तो प्रदेश के युवा आंदोलनरत होंगे। बताते चले की नकल विरोधी कानून में एक पैरा के अंतर्गत स्पष्ट रूप में और कहा गया है कि अगर नकल होने प्रश्न पत्र लीक होने या इससे संबंधित कोई भी भ्रामक सूचना फैलाई जाती है या किसी के द्वारा शिकायत की जाती है तो उस छात्र के ऊपर वह उस खबर को प्रकाशित करने वाले मीडिया ग्रुप के ऊपर प्रत्यक्ष तौर पर मुकदमा दर्ज होगा ।
उत्तराखंड युवा एकता मंच ने नकल विरोधी कानून के इस पैरा को अंग्रेजी शाशन काल के “रौलट एक्ट” से तुलना करते हुए कहा कि इसे तत्काल हटाया जाए क्योकि नकल विरोधी कानून का उद्देश्य नकल माफियाओं का समूल नाश है ,ना की नकल पर संदेह व्यक्त करने वाले व सिस्टम में बदलाव लाने वाले विसलब्लोअर को समाप्त करना।
उत्तराखंड युवा एकता मंच ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि छात्रों की मांगों को लेकर सदैव संघर्षरत है और युवा संघर्ष तब तक नहीं रुकेगा जब तक सभी मांगें नहीं मान ली जाए।
साथ ही कहा गया कि युवाओं के ऊपर लाठीचार्ज वह छात्रों के साथ हुए अन्याय के बाद आभार रैलियों का कोई औचित्य नहीं रह जाता जबकि इन रैलियों को “क्षमा याचना रैली” के रूप में निकाला जाना था। इस दौरान उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक राहुल पंत, पीयूष जोशी, श्रुति तिवारी सहित अन्य छात्र भी मौजूद रहे।
जब तक उत्तराखंड राज्य गठन से अब तक की सभी भर्तियों की सीबीआई जांच नहीं हो जाती देहरादून के सभी साथियों पर दर्ज मुकदमे वापस नही हो जाते तब तक उत्तराखंड युवा एकता मंच अपना आंदोलन जारी रखेगा ।
इसको लेकर जल्द एक मास कॉल भी दिया जाएगा अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती तो उग्र आंदोलन की जिम्मेदारी सरकार की होगी ।
हाल ही में पीसीएस मुख्य परीक्षा में सिलेबस बदलाव की बातें सामने आ रही है। जिसमें यूपीएससी पेटर्न पर ऑप्शनल लाने की बात की जा रही है। परंतु उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्य ऑप्शनल हटाकर राज्य विशेष का पेपर ला रहे हैं उत्तराखंड मूल के छात्रों को प्राथमिकता देने के लिए ऑप्शनल की जगह राज्य विशेष का प्रश्नपत्र लाया जाए ।
साथ ही मुख्य परीक्षा के पेपर साथ में गणित को हटाकर पूरा पेपर एथिक्स का किया जाए।
जिससे राज्य के मूल निवासियों को मदद मिल सके । इसके साथ साथ हमारी अन्य मांगे नहीं मानी जाती तो उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।