उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री के बाद अब जल्द बदले जाएंगे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, मिलेगी इनको ज़िम्मेदारी।
उत्तराखण्ड की राजनीति इन दिनों पूरे देशभर की चर्चाओं में है। भाजपा और कांग्रेस दोनो मुख्य राजनीतिक पार्टियां हैं, जबकि आम आदमी पार्टी द्वारा देवभूमि में अपनी जमीन तलाशने का कार्य किया जा रहा है। कांग्रेस ने गहन चिंतन के बाद लंबी चौड़ी कार्यकारिणी का गठन किया, वहीं भाजपा द्वारा चार साल के अंतराल में तीन मुख्यमंत्री बनाकर जगहँसाई का काम किया गया।
प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री बनाने के बाद अब उत्तराखण्ड भाजपा द्वारा जल्द वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भी बदलने की बात सामने आ रही है। भाजपा पहले कैडर आधारित पार्टी के नाम से जानी जाती रही, पर अब हाईकमान का ज्यादा हस्तक्षेप ने पार्टी के उसूलों को धराशायी कर दिया है। बार-बार मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बदलने पर पार्टी द्वारा आम जनता को जवाब देना नहीं बन पा रहा है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को बनाने के बाद सूत्रों की माने तो पार्टी में अंदरूनी उठापटक लगातार जारी है। जिसके चलते जल्द संघ के दिशानिर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से इस्तीफ़ा लेकर प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। पहाड़ी राज्य में पहाड़ मूल का पार्टी मुखिया हो इसको लेकर गहन चिंतन-मंथन कर निर्णय लिया जा रहा है। इसकी असल वजह बताई जा रही है पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, जिसको साधने को लेकर मजबूत रणनीति भाजपा द्वारा बनाई जा रही है, हरीश रावत द्वारा लगातार उत्तराखण्ड और उत्तराखंडियत की बात कही जाती है।
उत्तराखण्ड में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कब कांग्रेस के पक्ष में चुनाव की डोर ले आये यह किसी को भी पता नहीं। भाजपा प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट द्वारा हरियाणा की राजनीति को बेहद करीब से जरूर देखा है, पर हरियाणा व उत्तराखण्ड की राजनीति में काफी फर्क है। देवभूमि में एक बेहतर विजन के साथ चुनावी मैदान में उतरना बहुत जरूरी है, रोजगार और पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर जिस पार्टी द्वारा ठोस रणनीति के तहत कार्य किया गया तो उस दशा में मतदाताओं की पहली पसंद वही पार्टी होगी।
रोजगार और पलायन छोड़ बिजली मुफ्त देने के मकड़जाल में उलझाने वाली आम आदमी पार्टी के पास उत्तराखण्ड को लेकर कोई बेहतर विजन नही है। इनदिनों मुफ़्तख़ोरी को बढ़ावा देने वाली आप पार्टी से उत्तराखण्ड का युवा यही सवाल पूछ रहा है कि उन्हें मुफ्त कुछ नहीं चाहिए, रोजगार दो हम अपना बिजली का बिल स्वयं भर देंगे।