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उत्तराखण्ड

हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज में उन्नत नवजात पुनर्जीवन कार्यशाला का किया गया आयोजन

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हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में उन्नत नवजात पुनर्जीवन कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाना और जन्म के समय उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से निपटना था। कार्यशाला का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी, डॉ. जी.एस. लितियाल, बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. ऋतु रखोलिया तथा वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल अगवान द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया।डॉ. ऋतु रखोलिया ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में नवजात मृत्यु दर को वर्ष 2030 तक एकल अंक में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं की लगभग 25-30% मौतें जन्म के समय श्वास न ले पाने के कारण होती हैं, जिसे प्रसवकालीन जटिलताओं द्वारा रोका जा सकता है।उन्होंने बताया कि बच्चा जब माँ के गर्भ से बाहर आता है, तो पहले मिनट में श्वास लेना अत्यंत आवश्यक होता है। यदि बच्चा पहले मिनट में सांस नहीं लेता है तो उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसे “पहले मिनट का रोना” कहा जाता है, जो नवजात के जीवन के लिए बहुत जरूरी है।कार्यशाला में उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों से आए कई बाल रोग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। मास्टर ट्रेनर के रूप में डॉ. ऋतु रखोलिया, ब्रिगेडियर डॉ. वंदना नेगी (मूर्ति मेडिकल कॉलेज, बरेली), डॉ. माला मुल्ला, डॉ. जेवेसर जोली (गांधी मेडिकल कॉलेज देहरादून), डॉ. रवि कदलखा, डॉ. रवि सहाय और डॉ. साक्षी ने विषय से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। इस कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों को नवजात शिशुओं के पुनर्जीवन की उन्नत तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया, जिससे शिशु मृत्यु दर में प्रभावी रूप से कमी लाई जा सके।

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